Saturday, 2 August 2014

Sapne


एक भ्रम है जो आरज़ू थी  कोई, महज़ ख्वाब की तस्वीरें थी कहीं  ,
मैं आया अकेला था पर रस्ते मैं कुछ लोग मिल गए   ,
कुछ कदम साथ चले और पता नहीं कब अपने हो लिए,
रास्ते यूँही बस बढ़ते रहे और सबकी  मंजिले बदलतीं गयी,
एहसास हुआ तो मालूम हुआ शायद हम ही सबसे धीरे रह गए,
सपने बुनते रहे उन्हें हक़ीक़त मान कर, खूब हँसते रहे , खिलखिलाते रहे,
चिड़ियों का चहचहाना सुना , समंदर की लहरें महसूस की ,
इन्द्रधनुष के रंगो को देखा ,सुन्दर सपने लिखे,
पर एहसास तो बस एक भ्रम था,
क्यूंकि हक़ीक़त का एहसास तो हमे भी कम था,
ख़्वाबों का मालिक तो कोई और होता है ,
हकीकत मे तो ज़िन्दगी बड़ी कमज़ार होती है,
एक भ्रम और एक आरज़ू की तसवीर होती है,
एक शांत समंदर और उसकी तलहटी की आवाज़ें होती हैं ,
कोई भ्रम मैं जीता है तो कोई आरज़ू की तसवीरें लिए होता है !


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