लोग रिश्तों के ताने बाने में उलझे पड़े हैं,
रोज़ मर्रा की ऊँच नीच इज़्ज़त बेज़्ज़त में जकड़े हुए हैं,
ज़िन्दगी के छुपे नए पहलुओं को महसूस करके तो देखो,
रिश्तों के नाम बहुत बड़े हैं, ख़ुशीयों को सबसे ऊपर रख कर तो देखो,
ज़िन्दगी बहुत छोटी है बेवजह जलाने जलाने को,
हर लम्हे में छुपे तोहफ़ों को गले लगा कर तो देखो!
उम्र बीत जाएगी रिश्ते समझने में ,
समझ की समझ भी हिसाब नहीं रख पाती इन बातों मैं,
रिश्तों के रूप बदलते हैं रोज़ नए रिश्ते जुड़कर नए आकर में ढलते हैं,
बदलते वक़्त के साथ बदलना भी बहुत जरुरी है,
पतंगों की डोर को ढील देना भी जरुरी है ,
रिश्तों को बड़े नामो की नहीं बल्कि हलके ठाहकों सी ,
सांझ की ठंडी धूंप की गर्मी सी,
औंस की नमी बनाने को साफ़ हवा की जरुरत है ,
खिल खिलाकर हंसने और हंसाने की जरुरत है,
उम्र बीत जाएगी रिश्ते समझने में ,
समझ की समझ भी हिसाब नहीं रख पाती इन बातों मैं,
रिश्तों के रूप बदलते हैं रोज़ नए रिश्ते जुड़कर नए आकर में ढलते हैं,
बदलते वक़्त के साथ बदलना भी बहुत जरुरी है,
पतंगों की डोर को ढील देना भी जरुरी है ,
रिश्तों को बड़े नामो की नहीं बल्कि हलके ठाहकों सी ,
सांझ की ठंडी धूंप की गर्मी सी,
औंस की नमी बनाने को साफ़ हवा की जरुरत है ,
खिल खिलाकर हंसने और हंसाने की जरुरत है,
ज़िन्दगी के छुपे नए पहलुओं को महसूस करके तो देखो,
रिश्तों के नाम बहुत बड़े हैं, ख़ुशीयों को सबसे ऊपर रख कर तो देखो!
No comments:
Post a Comment